महाकुंभ: पाकिस्तान से आए 68 श्रद्धालुओं ने संगम में किया स्नान

7 फरवरी 2025 को महाकुंभ मेले के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ा जब पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांत से 68 हिंदू श्रद्धालुओं का जत्था प्रयागराज पहुंचा। यह घटना न केवल सांस्कृतिक एकता बल्कि आध्यात्मिक संबंधों की गहराई को दर्शाती है। इन श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाकर अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन किया, साथ ही योगी सरकार की व्यवस्थाओं की जमकर तारीफ की

पाकिस्तानी हिंदुओं की आध्यात्मिक यात्रा

विशेष वीजा पर पहुंचे श्रद्धालु:

  • 144 वर्षों बाद लगे इस महाकुंभ में भाग लेने वाले इन 68 लोगों ने विशेष वीजा के तहत भारत की यात्रा की।
  • इनमें अधिकांश सिंध प्रांत के गोटकी, सक्कर, खैरपुर और शिकारपुर जिलों से थे, जबकि कुछ पंजाब प्रांत के निवासी थे

पाकिस्तानी हिंदुओं ने हरिद्वार में की आध्यात्मिक यात्रा, गंगा में विसर्जित कीं पूर्वजों की अस्थियां

हरिद्वार से प्रयागराज तक का सफर:

  • महंत रामनाथ के नेतृत्व में इस दल ने पहले हरिद्वार में 480 पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन किया, फिर प्रयागराज पहुंचकर संगम स्नान किया
  • श्रद्धालु गोबिंद राम माखीजा ने बताया, “हमने सोशल मीडिया पर महाकुंभ की दिव्यता देखी तो अपने आपको रोक नहीं पाए”

संगम स्नान: एक पीढ़ियों पुरानी इच्छा की पूर्ति

पूर्वजों की अधूरी आस:

  • कई श्रद्धालुओं के पूर्वज जीवित रहते हुए महाकुंभ में आने का सपना देखकर ही स्वर्ग सिधार गए थे। उनकी अस्थियों को संगम में विसर्जित करके परिवारों ने अपने कर्तव्य का निर्वहन किया
  • 11वीं की छात्रा सुरभि (सिंध) ने कहा, “यहां आकर पहली बार अपने धर्म की गहराई समझी”

भावुक अनुभव:

  • गृहिणी प्रियंका ने संवाददाताओं से कहा, “भारत आना मेरा सबसे बड़ा सौभाग्य है… यहां की संस्कृति देखकर लगता है जैसे हम फिर से जन्मे हों”

महाकुंभ 2025: प्रशासन की तारीफ और पाकिस्तानी श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया

यूपी सरकार को श्रेय:

  • श्रद्धालुओं ने योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा बनाई गई साफ-सफाई, भोजन और सुरक्षा व्यवस्था को “अद्भुत” बताया
  • महंत रामनाथ ने कहा, “पाकिस्तान में मंदिर जाने तक में रोकटोक है, लेकिन यहां हमें पूर्ण स्वतंत्रता मिली”

सांस्कृतिक पुनर्जागरण:

  • श्रद्धालुओं ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान में हिंदू संस्कृति को संरक्षित करना चुनौतीपूर्ण है, जबकि भारत में उन्हें अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर मिला

महाकुंभ का ऐतिहासिक महत्व

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144 साल बाद लगा महापर्व:

  • 2025 का यह कुंभ विशेष है क्योंकि यह 1881 के बाद पहली बार लगा जब सभी ग्रहों की स्थिति एक साथ संयोग बनी।
  • संगम स्नान को मोक्ष प्राप्ति का सबसे शक्तिशाली माध्यम माना जाता है

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निष्कर्ष

पाकिस्तान से आए इन 68 श्रद्धालुओं की कहानी केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि विभाजन की विभीषिका के बावजूद साझा सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। महाकुंभ जैसे आयोजन न केवल आध्यात्मिक बल्कि राजनयिक सेतु का काम करते हैं।

प्रमुख प्रश्न (FAQs)

144 साल बाद ही क्यों लगता है महाकुंभ?

यह खगोलीय गणना पर निर्भर करता है। सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति का विशेष संयोग ही महाकुंभ तय करता है

संगम स्नान का क्या महत्व है?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, संगम (गंगा-यमुना-सरस्वती) में स्नान से मोक्ष प्राप्त होता है

पाकिस्तानी श्रद्धालुओं ने भारत में क्या अनुभव किया?

उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक समृद्धि को भारत की सबसे बड़ी विशेषता बताया

यूपी सरकार ने किन व्यवस्थाओं की प्रशंसा हुई?

स्वच्छता, सुरक्षा और श्रद्धालु सुविधाओं को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा पाया गया

क्या पाकिस्तान में हिंदुओं को धार्मिक स्वतंत्रता है?

श्रद्धालुओं के अनुसार, वहां मंदिर जाने में भी बाधाएं हैं, हालांकि सिंध प्रांत में स्थिति कुछ बेहतर है